The shiv chalisa in hindi Diaries
The shiv chalisa in hindi Diaries
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
किसी भी वजह से मन में कोई भय हो तो शिव चालीसा का पाठ करे।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का Shiv chaisa गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
लिङ्गाष्टकम्